Scenario:एक देहाती ने गारे और मिट्टी से अपना घर बनाया। घर में उसने सात मसलों (स्तंभों) की एक छोटी सी मस्जिद भी बनाई। ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसके सात बेटे थे। जब निर्माण पूरा हो गया, तो उसने अपने बेटों को बुलाया और कहा, “मैं चाहता हूँ कि इस मस्जिद को जन्नत की मिट्टी से ढक दिया जाए। तुम सब भाई जाओ और जन्नत की मिट्टी तलाश कर लाओ।”
बेटे परेशान हो गए कि जन्नत की मिट्टी कहाँ से लाएँ। पिता के आदेश का पालन करने के लिए छह बेटे मिट्टी की तलाश में निकल पड़े, जबकि सबसे छोटा और सातवाँ बेटा बीमार था, इसलिए वह घर पर ही रहा।
जब शाम को सभी भाई खाली हाथ लौटे और घर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उनका सबसे छोटा भाई एक बोरी में मिट्टी भरकर बैठा था।
पिता ने उससे पूछा, “बेटा, घर पर बैठे-बैठे तुझे जन्नत की मिट्टी कहाँ से मिल गई?”
छोटे बेटे ने जवाब दिया, “मैं दिनभर माँ के पीछे-पीछे चलता रहा। जहाँ-जहाँ उन्होंने कदम रखा, वहाँ-वहाँ से मिट्टी उठाकर मैं इसे बोरी में भरता रहा। यही जन्नत की मिट्टी है।”
यह सुनकर पिता और सभी भाई भावविभोर हो गए और समझ गए कि माँ के कदमों में ही जन्नत है।
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एक देहाती ने गारे और मिट्टी से अपना घर बनाया। घर में उसने सात मसलों (स्तंभों) की एक छोटी सी मस्जिद भी बनाई। ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसके सात बेटे थे। जब निर्माण पूरा हो गया, तो उसने अपने बेटों को बुलाया और कहा, “मैं चाहता हूँ कि इस मस्जिद को जन्नत की मिट्टी से ढक दिया जाए। तुम सब भाई जाओ और जन्नत की मिट्टी तलाश कर लाओ।”
बेटे परेशान हो गए कि जन्नत की मिट्टी कहाँ से लाएँ। पिता के आदेश का पालन करने के लिए छह बेटे मिट्टी की तलाश में निकल पड़े, जबकि सबसे छोटा और सातवाँ बेटा बीमार था, इसलिए वह घर पर ही रहा।
जब शाम को सभी भाई खाली हाथ लौटे और घर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उनका सबसे छोटा भाई एक बोरी में मिट्टी भरकर बैठा था।
पिता ने उससे पूछा, “बेटा, घर पर बैठे-बैठे तुझे जन्नत की मिट्टी कहाँ से मिल गई?”
छोटे बेटे ने जवाब दिया, “मैं दिनभर माँ के पीछे-पीछे चलता रहा। जहाँ-जहाँ उन्होंने कदम रखा, वहाँ-वहाँ से मिट्टी उठाकर मैं इसे बोरी में भरता रहा। यही जन्नत की मिट्टी है।”
यह सुनकर पिता और सभी भाई भावविभोर हो गए और समझ गए कि माँ के कदमों में ही जन्नत है।
Father
male. He is a villager who built a house with seven pillars and a small mosque. He is determined,resourceful,and loving. He asks his seven sons to find mud from Paradise to cover the mosque,testing their understanding of faith. Despite his sons' failure,he is moved by the youngest son's gesture of collecting mud from their mother's footsteps,realizing true blessings come from her.
Fifth Son
male. He is another son of the villager. He shares the same traits as his brothers—obedient and hardworking—but lacks understanding about faith.
First Son
male. He is one of the seven sons of the villager. He is obedient,diligent,but naive. He searches for mud from Paradise with his brothers but returns emptyhanded. His failure highlights his lack of understanding about faith and blessings.
एक देहाती ने अपने घर के लिए गारे और मिट्टी से एक घर बनाया।
उसने सात मसलों (स्तंभों) की एक छोटी सी मस्जिद भी बनाई।
वह ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसके सात बेटे थे।
जब घर और मस्जिद का निर्माण पूरा हो गया, तो उसने अपने बेटों को बुलाया और कहा, “मैं चाहता हूँ कि इस मस्जिद को जन्नत की मिट्टी से ढक दिया जाए।”
बेटे परेशान हो गए कि जन्नत की मिट्टी कहाँ से लाएँ।
पिता के आदेश का पालन करने के लिए छह बेटे मिट्टी की तलाश में निकल पड़े, जबकि सबसे छोटा और सातवाँ बेटा बीमार था, इसलिए वह घर पर ही रहा।
जब शाम को सभी भाई खाली हाथ लौटे और घर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि उनका सबसे छोटा भाई एक बोरी में मिट्टी भरकर बैठा था।
मेरे भाइयों ने मिट्टी की बोरी को देखकर हँसते हुए कहा, “यह तो सिर्फ आम मिट्टी है।”
मैं चुपचाप उनकी ओर देखता रहा, उनके चेहरे पर अविश्वास और मजाक की झलक साफ थी।
पिता ने गंभीरता से मेरी ओर देखा और पूछा, “तुम्हें कैसे पता चला कि यह जन्नत की मिट्टी है?”
मैंने धीरे-धीरे बोरी खोली और उसमें से थोड़ी मिट्टी निकालकर उनके सामने रख दी।
“यह वही मिट्टी है जहाँ माँ के कदम पड़े,” मैंने कहा।
पिता ने मिट्टी को ध्यान से देखा, फिर मुस्कुराते हुए सिर हिलाया।
उन्होंने कहा, "यह सचमुच जन्नत की मिट्टी है।"
फिर पिता ने मेरे हाथ से बोरी ले ली और मेरी ओर देखा, उनकी आँखों में मेरे लिए एक नई इज्जत की झलक थी।
मेरे भाइयों ने संदेह से मेरी ओर देखा और पिता के पीछे-पीछे चलने लगे।
पिता ने हमें मस्जिद के पास ले जाकर कहा, "अब इस मस्जिद को जन्नत की मिट्टी से ढक दिया जाएगा।"
मस्जिद में सात स्तंभ थे, जिनके ऊपर जन्नत की मिट्टी रखी जानी थी।
पिता ने मेरे हाथ में एक मुट्ठी मिट्टी रख दी और कहा, "अब तुम सबसे पहले यह काम शुरू करो।"
मैंने मस्जिद के अंदर जाकर मिट्टी फैलाना शुरू कर दिया।
मेरे भाइयों ने पहले तो देखा पर बाद में वो भी मिट्टी फैलाने लगे। पिता ने एक नमाज पढ़ना शुरू कर दिया, उसकी आवाज़ स्थिर और साफ थी।