MidReal Story

बस नंबर

Scenario:रात के लगभग 12 बज चुके थे। शहर की आखिरी बस — बस नंबर 203 — बस स्टैंड पर खड़ी थी। बहुत कम लोग इस बस में चढ़ते थे, क्योंकि इसकी एक डरावनी कहानी मशहूर थी। लेकिन रवि को इस सब में विश्वास नहीं था। उसने देर तक ऑफिस में काम किया था और अब यही बस उसकी आखिरी उम्मीद थी घर पहुंचने की। रवि बस में चढ़ गया। बस लगभग खाली थी। आगे ड्राइवर बैठा था, और सबसे पीछे की सीट पर कोई औरत — सिर नीचे झुकाए — चुपचाप बैठी थी। रवि थोड़ी देर तक आगे की सीट पर बैठा, लेकिन फिर उसने सोचा, "इतनी खाली बस में पीछे कोई क्यों बैठा है?" उसने ड्राइवर से पूछा, "भाईसाहब, वो पीछे वाली महिला कहां जा रही हैं?" ड्राइवर ने आईने में देखा और अचानक सिहर गया। "कौन महिला...? पीछे तो कोई भी नहीं बैठा है!" रवि घबरा गया। उसने पीछे मुड़कर देखा — वो औरत अब भी वहां बैठी थी। लेकिन अब उसका चेहरा दिखाई दे रहा था... उसका चेहरा बिल्कुल सफेद था, आँखें गहरी काली और होंठ सिले हुए थे। रवि ने डर से पलकें झपकाईं — और अगली बार देखा, तो वो औरत अब सीट पर नहीं थी। 🌫️ डर बढ़ता गया... अचानक बस की लाइटें बंद हो गईं। दरवाज़े अपने आप लॉक हो गए। रवि चीखने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी आवाज़ ही नहीं निकल रही थी। तभी रेडियो अपने आप ऑन हुआ — और एक पुराना गाना बजने लगा: "कुछ लोग जो सफर में बिछड़ जाते हैं..." ड्राइवर घबरा चुका था। उसने बस रोक दी, लेकिन बाहर सिर्फ कोहरा और अंधेरा था। "ये सब क्यों हो रहा है?" रवि ने पूछा। ड्राइवर बोला, "तुम नहीं जानते क्या? ये बस 5 साल पहले बंद हो गई थी।" "एक लड़की ने इसमें जहर खाकर जान दे दी थी। कहते हैं, वो हर साल लौटती है... उसी तारीख पर... अपनी अधूरी यात्रा पूरी करने।" रवि कांपने लगा — आज की तारीख थी — 27 जून। वही तारीख। 💀 अंतिम सीट से आवाज़ आई... अब बस में एक अजीब सी सरसराहट थी… जैसे कोई हवा में चल रहा हो। रवि ने देखा — वो औरत अब हवा में तैरती हुई उसके पास आ रही थी। उसकी आँखें जल रही थीं… और उसके सिले होंठ धीरे-धीरे खुल रहे थे। "मेरा सफर अधूरा है..." उसने फुसफुसाते हुए कहा। रवि ने खिड़की तोड़ी, और किसी तरह बस से बाहर भाग गया। 🛑 पर कहानी खत्म नहीं हुई... जब उसने पीछे मुड़कर देखा — बस गायब थी। वहां सिर्फ एक टूटा हुआ बोर्ड पड़ा था: "बस नंबर 203 – सेवा बंद | अंतिम घटना: 27 जून 2020" रवि वहीं बेहोश हो गया। 📅 एक साल बाद... एक और शहर में… एक लड़की रात को घर लौट रही थी। उसे एक बस दिखती है — पुरानी, सीटी बजाती हुई। उसका नंबर था — 203. वो मुस्कराती है और चढ़ जाती है। "कुछ सफर बस खत्म नहीं होते... कुछ रूहें अब भी यात्रा पर हैं... और उनकी मंज़िल... कोई भी बन सकता है।"
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रात के लगभग 12 बज चुके थे। शहर की आखिरी बस — बस नंबर 203 — बस स्टैंड पर खड़ी थी। बहुत कम लोग इस बस में चढ़ते थे, क्योंकि इसकी एक डरावनी कहानी मशहूर थी। लेकिन रवि को इस सब में विश्वास नहीं था। उसने देर तक ऑफिस में काम किया था और अब यही बस उसकी आखिरी उम्मीद थी घर पहुंचने की। रवि बस में चढ़ गया। बस लगभग खाली थी। आगे ड्राइवर बैठा था, और सबसे पीछे की सीट पर कोई औरत — सिर नीचे झुकाए — चुपचाप बैठी थी। रवि थोड़ी देर तक आगे की सीट पर बैठा, लेकिन फिर उसने सोचा, "इतनी खाली बस में पीछे कोई क्यों बैठा है?" उसने ड्राइवर से पूछा, "भाईसाहब, वो पीछे वाली महिला कहां जा रही हैं?" ड्राइवर ने आईने में देखा और अचानक सिहर गया। "कौन महिला...? पीछे तो कोई भी नहीं बैठा है!" रवि घबरा गया। उसने पीछे मुड़कर देखा — वो औरत अब भी वहां बैठी थी। लेकिन अब उसका चेहरा दिखाई दे रहा था... उसका चेहरा बिल्कुल सफेद था, आँखें गहरी काली और होंठ सिले हुए थे। रवि ने डर से पलकें झपकाईं — और अगली बार देखा, तो वो औरत अब सीट पर नहीं थी। 🌫️ डर बढ़ता गया... अचानक बस की लाइटें बंद हो गईं। दरवाज़े अपने आप लॉक हो गए। रवि चीखने की कोशिश करने लगा, लेकिन उसकी आवाज़ ही नहीं निकल रही थी। तभी रेडियो अपने आप ऑन हुआ — और एक पुराना गाना बजने लगा: "कुछ लोग जो सफर में बिछड़ जाते हैं..." ड्राइवर घबरा चुका था। उसने बस रोक दी, लेकिन बाहर सिर्फ कोहरा और अंधेरा था। "ये सब क्यों हो रहा है?" रवि ने पूछा। ड्राइवर बोला, "तुम नहीं जानते क्या? ये बस 5 साल पहले बंद हो गई थी।" "एक लड़की ने इसमें जहर खाकर जान दे दी थी। कहते हैं, वो हर साल लौटती है... उसी तारीख पर... अपनी अधूरी यात्रा पूरी करने।" रवि कांपने लगा — आज की तारीख थी — 27 जून। वही तारीख। 💀 अंतिम सीट से आवाज़ आई... अब बस में एक अजीब सी सरसराहट थी… जैसे कोई हवा में चल रहा हो। रवि ने देखा — वो औरत अब हवा में तैरती हुई उसके पास आ रही थी। उसकी आँखें जल रही थीं… और उसके सिले होंठ धीरे-धीरे खुल रहे थे। "मेरा सफर अधूरा है..." उसने फुसफुसाते हुए कहा। रवि ने खिड़की तोड़ी, और किसी तरह बस से बाहर भाग गया। 🛑 पर कहानी खत्म नहीं हुई... जब उसने पीछे मुड़कर देखा — बस गायब थी। वहां सिर्फ एक टूटा हुआ बोर्ड पड़ा था: "बस नंबर 203 – सेवा बंद | अंतिम घटना: 27 जून 2020" रवि वहीं बेहोश हो गया। 📅 एक साल बाद... एक और शहर में… एक लड़की रात को घर लौट रही थी। उसे एक बस दिखती है — पुरानी, सीटी बजाती हुई। उसका नंबर था — 203. वो मुस्कराती है और चढ़ जाती है। "कुछ सफर बस खत्म नहीं होते... कुछ रूहें अब भी यात्रा पर हैं... और उनकी मंज़िल... कोई भी बन सकता है।"

रवि

He is a young professional working late in his office. He is determined, anxious, and cautious. He is traveling back home on a latenight bus. He is haunted by the fear of missing his bus, which is said to be haunted by a ghost. As he boards the bus, he notices an old woman sitting in the back. The driver warns him about the bus's notorious history. RavI tries to sit far from the ghostly legend but eventually loses his sanity as the bus drives into darkness.

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ड्राइवर

He is the driver of Bus Number 203. He is nervous, hesitant, and fearful. He tries to avoid talking to RavI about the ghostly legend of the bus. As he drives through a dark road, he reveals his fear to RavI. The driver finally stops the bus, revealing his fear and anxiety about driving on such a late night and early morning when most buses are closed.

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लड़की

She is an apparition of a girl who died five years ago on Bus Number 203. She is mysterious, eerie, and sorrowful. She appears on the bus, sitting in the back seat. Her presence causes fear and anxiety in RavI and the driver. She seems to be completing her unfinished journey, as she disappears into darkness on July 27th, exactly when RavI boards the bus.

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रात के लगभग 12 बज चुके थे।
शहर की आखिरी बस — बस नंबर 203 — बस स्टैंड पर खड़ी थी।
इस बस में बहुत कम लोग चढ़ते थे, क्योंकि इसके साथ एक अजीब घटना घटी थी।
लेकिन मुझे इस सब में विश्वास नहीं था।
मैंने देर तक ऑफिस में काम किया था, और अब यही बस मेरी आखिरी उम्मीद थी घर पहुंचने की।
मैं बस में चढ़ गया।
बस लगभग खाली थी।
आगे ड्राइवर बैठा था, और सबसे पीछे की सीट पर कोई औरत — सिर नीचे झुकाए — चुपचाप बैठी थी।
मैं थोड़ी देर तक आगे की सीट पर बैठा, लेकिन फिर मुझे लगा,
"इतनी खाली बस में पीछे वो क्या कर रही है?"
मैंने ड्राइवर से पूछा,
"भाईसाहब, वो पीछे वाली महिला कहां जा रही हैं?"
ड्राइवर ने आईने में देखा, और अचानक सिहर गया।
"कौन महिला...? पीछे तो कोई भी नहीं बैठा है!"
मैं घबरा गया।
मैंने पीछे मुड़कर देखा — वो औरत अब भी वहां बैठी थी।
लेकिन अब उसका चेहरा दिखाई दे रहा था...
उसका चेहरा बिल्कुल सफेद था, आँखें गहरी काली, और होंठ सिले हुए।
बस नंबर
मैंने अपनी सीट को जोर से पकड़ लिया, और उंगलियां सफेद हो गईं।
मैंने फिर से ड्राइवर की ओर इशारा किया, "देखो, पीछे बैठी है!"
ड्राइवर ने फिर से आईने में देखा, और उसके हाथों में कंपकपाहट आ गई।
"नहीं... नहीं... वहां कोई नहीं है!"
उसकी आवाज़ में डर साफ़ दिख रहा था।
उस औरत के सिले हुए होंठ अचानक मुस्कराने लगे, और उसकी आँखें चमकने लगीं...
मैं खड़ा हो गया।
मैं यह साबित करना चाहता था कि मैं पागल नहीं हूँ!
मैं बस की गलियारे में पीछे की ओर चलने लगा।
बस में इतनी खाली जगह थी, लेकिन मेरे हर कदम की आवाज़ बहुत तेज़ हो रही थी।
बस नंबर
जैसे-जैसे मैं आगे बढ़ता गया, बस का तापमान भी कम होता गया।
अब मैं उस औरत से पांच पंक्तियों पर था।
चार पंक्तियाँ...
तीन पंक्तियाँ...
उसका सिर धीरे-धीरे मेरी ओर घूमने लगा, जैसे उसकी गर्दन टूट गई हो।
बस नंबर
मेरे पैर हर कदम के साथ कांपते जा रहे थे, मेरे हाथ बस की खाली सीटों के मेटल रेलिंग को पकड़े हुए थे।
बस के ऊपर लगे फ्लोरोसेंट लाइट्स तेजी से फ्लिकर कर रहे थे, जिससे उसके चेहरे पर अजीब साए पड़ रहे थे।
बस में अब और भी ठंड हो गई थी, और मेरी सांसें सफेद धुएं की तरह दिखाई दे रही थीं।
उसका शरीर अभी भी बिल्कुल स्थिर था, उसके सिले हुए होंठ एक अजीब मुस्कराहट में जम गए थे।
बस अचानक झटके से रुक गई, और मैं आगे गिर गया।
बस नंबर
अब मैं उस औरत से बस दो पंक्तियों की दूरी पर था।
मेरा गला सूख गया था, लेकिन मैंने अपनी आवाज़ निकालने की पूरी कोशिश की।
"तुम कौन हो?"
बस अचानक तेजी से आगे बढ़ गई, और मैं पीछे की ओर गिर गया।
उसके सिले हुए होंठ खुल गए, और उसके मुंह के अंदर एक गहरा काला रंग दिखाई दिया।
बस में एक ठंडी हवा चलने लगी, जिससे बस की धातु की दीवारें चटखने लगीं।
बस का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई, और दरवाज़े का तंत्र चटकने लगा।
बस का दरवाज़ा अचानक बहुत तेजी से खुल गया, जैसे उसमें बहुत ताकत थी।
दरवाज़े से एक वैक्यूम बन गया, जिससे मेरे कपड़ों और त्वचा पर खिंचाव होने लगा।
दरवाज़े से बाहर निकलते हुए, मैंने देखा कि वहां शहर की सड़क नहीं थी, बल्कि एक घना जंगल था। वहां टेढ़े-मेढ़े पेड़ और घना कोहरा था।
उस औरत का शरीर धीरे-धीरे धुंएले रंग में बदलने लगा, और उसका शरीर दरवाज़े की ओर बढ़ने लगा।
दरवाज़े से निकलती हुई हवा तेज होती गई, और बस में एक वैक्यूम बन गया।
मेरी उंगलियां धीरे-धीरे बस की रेलिंग से फिसलने लगीं।
बस नंबर
"तुम्हें यहाँ से जाना होगा," उसकी आवाज़ गूंज उठी, जैसे वो कई दिशाओं से आ रही हो।
"लेकिन तुम कौन हो, और ये सब क्या है?" मैंने हकलाते हुए पूछा।
"मैं वो हूँ जो कभी इस बस में थी, और अब तुम्हें भी इस रहस्य का हिस्सा बनना होगा।"
मेरी हड्डियाँ सफेद हो गईं, जैसे मैं धातु की रेलिंग को पकड़कर अपने शरीर को रोकने की कोशिश कर रहा था।
बस में एक अजीब सी हवा चल रही थी, जो मुझे दरवाज़े की ओर खींच रही थी।
मेरे हाथों में धातु की रेलिंग को पकड़ने से ठंड लग रही थी, लेकिन मैं उसे छोड़ने को तैयार नहीं था।
मेरी आँखों में धुंधलापन आ गया था, और मैं बस उस औरत के धुंएले रूप को देख सकता था, जो दरवाज़े के पास खड़ी थी।
उसकी आँखें मुझ पर जमीं हुई थीं, और उसका चेहरा एक अजीब सी मुस्कराहट में जम गया था।
बस अचानक झटके से रुक गई, और मेरे पैर हवा में उठ गए।
ड्राइवर ने चिल्लाते हुए कुछ कहा, लेकिन उसकी आवाज़ हवा के शोर में दब गई।
मेरी बांहें तेजी से हिल रही थीं, और मेरी उंगलियां धीरे-धीरे रेलिंग से फिसल रही थीं।
जैसे-जैसे बस आगे बढ़ रही थी, वहां एक अजीब सा वैक्यूम बन रहा था, जैसे बस एक गहरे गड्ढे में गिर रही हो।
बस अचानक सीधी हो गई, और मैं फिर से जमीन पर गिर गया।
बस नंबर
उसका धुंएला रूप अचानक ठोस हो गया, और वह दरवाज़े की ओर बढ़ने लगी।
दरवाज़े से बाहर, मैंने देखा कि जंगल के अंदर से एक विशाल छाया निकल रही थी, जो धीरे-धीरे बड़ी होती जा रही थी।
छाया इतनी बड़ी थी कि वह धुंधलाई को ढक रही थी, और बस के अंदर की रोशनी भी उस पर पड़ नहीं रही थी।
बस में तापमान और भी गिर गया, और खिड़कियों पर बर्फ जमने लगी।
मेरे दांत तेजी से कांपने लगे, और मैं अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करने लगा।
बस की सीटों को पकड़कर, मैं धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ा हुआ।
छाया अब और भी बड़ी होती जा रही थी, और उसका आकार एक विशाल राक्षस जैसा लग रहा था।
उसका आकार बस से भी बड़ा था, और वह बस को अपनी छाया में ढक रहा था।
उस औरत का धुंएला रूप अब फिर से धुंएला हो गया, और उसके सिले हुए होंठ खुल गए।
उसकी आवाज़ फिर से गूंज उठी, जैसे वह कई दिशाओं से आ रही हो।
"अब तुम्हें यहाँ से जाना होगा।"
बस नंबर
बस में एक अजीब सी ठंड बढ़ रही थी, और बस की धातु की दीवारें चटखने लगीं।
मेरे पैर कांपने लगे, और मैं बस के दरवाज़े की ओर दौड़ लगाने लगा।
बस की धातु की दीवारें चटखने लगीं, और बस का तापमान और भी गिर गया।
मेरे पैरों के नीचे बस का धातु का फर्श जमने लगा, और मैं अपने पैरों पर खड़ा होने की कोशिश करने लगा।
बस की खिड़कियों पर बर्फ जमने लगी, और बस की रोशनी भी धुंधलाई में पड़ने लगी।
छाया अब और भी बड़ी होती जा रही थी, और उसका आकार बस से भी बड़ा हो गया था।
उसकी आवाज़ फिर से गूंज उठी, जैसे वह कई दिशाओं से आ रही हो।
"अब तुम्हें यहाँ से जाना होगा।"
मैं बस के दरवाज़े की ओर दौड़ता रहा, लेकिन बस का धातु का फर्श जमने लगा था, और मेरे पैर फिसलने लगे थे।
मैं दो बार गिर गया, लेकिन मैं फिर से उठकर दौड़ने लगा।
बस की खिड़कियों पर बर्फ जमने लगी, और बस की रोशनी भी धुंधलाई में पड़ने लगी।
बस नंबर
छाया अब और भी बड़ी होती जा रही थी, और उसका आकार बस से भी बड़ा हो गया था।
उसकी आवाज़ फिर से गूंज उठी, जैसे वह कई दिशाओं से आ रही हो.
"अब तुम्हें यहाँ से जाना होगा।"
मैं बस के दरवाज़े तक पहुँच गया, लेकिन दरवाज़ा बंद था।
मैं दरवाज़े पर दस्तक देने लगा, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला।
बस नंबर
दरवाज़े के दूसरी ओर से एक गूंजती हुई हंसी सुनाई दी।
मैं अपना पूरा वजन दरवाज़े पर डाल दिया, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला।
मेरे कंधे में दर्द होने लगा, लेकिन मैं दरवाज़े पर दस्तक देता रहा।
दरवाज़े के दूसरी ओर से हंसी और भी तेज होती गई, और मुझे लगा कि वह दरवाज़े के दूसरी ओर खड़ी है।
दरवाज़े के हैंडल पर बर्फ जमने लगी, और मेरे हाथ जमने लगे।
मैं दरवाज़े को खोलने की कोशिश करता रहा, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला।
दरवाज़े के बाहर, छाया अब और भी बड़ी होती जा रही थी, और उसका आकार बस से भी बड़ा हो गया था।
छाया बस की खिड़कियों पर दबाव डाल रही थी, और खिड़कियाँ अंदर की ओर दबने लगीं। मैं दरवाज़े पर दस्तक देता रहा, लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला।
दरवाज़े के दूसरी ओर से हंसी और भी तेज होती गई, और मुझे लगा कि वह दरवाज़े के दूसरी ओर खड़ी है।
मैं दरवाज़े को खोलने की कोशिश करता रहा, लेकिन दर्वाज़ा नहीं खुला।
दर्वाज़े के बाहर, छाया अब और भी बड़ी होती जा रही थी, और उसका आकार बस से भी बड़ा हो गया था।
बस नंबर
बस नंबर
छाया बस की खिड़कियों पर दबाव डाल रही थी, और खिड़कियाँ अंदर की ओर दबने लगीं।
बस में एक अजीब सी ठंड बढ़ रही थी, और बस की धातु की दीवारें चटखने लगीं।
मैं दर्वाज़े पर दस्तक देता रहा, लेकिन दर्वाज़ा नहीं खुला।
बस के भीतर की दुनिया ध्वस्त होने लगी, और मैं अपनी ही परछाई में खो गया।
मैं दरवाज़े पर एक आखिरी बार दस्तक देता हूँ, लेकिन मेरे जमे हुए हाथ दरवाज़े के हैंडल को पकड़ नहीं पाते।
दरवाज़े का धातु चटखने लगता है, और मेरा शरीर दरवाज़े से टकरा जाता है।
दरवाज़ा खुल जाता है, और मैं बाहर गिर जाता हूँ।
बस के बाहर, गर्म रात की हवा मुझे अपनी आगोश में ले लेती है।
मैं उठकर खड़ा होता हूँ और बस से दूर भागता हूँ।
पीछे मुड़कर देखता हूँ, तो बस की खिड़कियों पर जमी बर्फ पिघलने लगती है।
बस की रोशनी फिर से जलने लगती है, और बस का इंजन फिर से शुरू हो जाता है।
बस के अंदर, उस औरत की आकृति धुंएली होने लगती है, और वह बस से बाहर निकलने लगती है।
उसकी आकृति धुंएली होती जाती है और वह बस से बाहर निकल जाती है।
बस की खिड़कियों पर जमी बर्फ पिघल जाती है, और बस की रोशनी फिर से जलने लगती है।
बस नंबर
"तुमने मुझे यहाँ से बाहर निकाल दिया," उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ अब भी हवा में गूंज रही थी।
"लेकिन तुम कौन हो?" मैंने हांफते हुए पूछा, मेरे दिल की धड़कन अभी भी तेज़ थी।
"मैं तुम्हारी परछाई हूँ, और अब तुम्हें अपनी असली यात्रा शुरू करनी होगी," उसने उत्तर दिया, उसकी आकृति धीरे-धीरे गायब होती हुई।
मैं सड़क पर खड़ा हूँ, मेरे पैर अभी भी कांप रहे हैं।
सड़क खाली है, और आसमान में तारे टिमटिमा रहे हैं।
सड़क के बीच में एक स्ट्रीट लाइट जल रही है, जो मेरी परछाई को सड़क पर डाल रही है।
लेकिन कुछ अजीब है।
जब मैं दाएं जाता हूँ, तो मेरी परछाई बाएं जाती है।
मैं रुक जाता हूँ और अपनी परछाई को देखता हूँ।
वह धीरे-धीरे सड़क से उठने लगती है, जैसे कि वह एक जीवित चीज़ है।
मैं उसकी ओर बढ़ता हूँ, और वह मुझे एक इमारत की दीवार पर ले जाती है।
वह दीवार पर चढ़ने लगती है, और मैं उसके पीछे चलता हूँ।
वह दीवार पर चढ़ती जाती है, और मैं उसके पीछे चढ़ता जाता हूँ।
बस नंबर
वह दीवार के ऊपर पहुँच जाती है, और वहाँ वह एक इंसान की आकृति बन लेती है।
उसके चेहरे पर दो पिनपॉइंट्स आँखें होती हैं, और वह मुझे देखती है।
मैं उसकी ओर बढ़ता हूँ, और वह मुझसे बात करने लगती है। "तुमने मुझे यहाँ लाया," वह कहती है, उसकी आवाज़ धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
"अब तुम्हें मुझसे बात करनी होगी।"
मैं उसकी ओर बढ़ता जाता हूँ, और वह मुझसे बात करना शुरू कर देती है।
बस नंबर
वह मुझसे कहती है कि वह मेरी परछाई है, और वह मुझसे हमेशा बात करना चाहती थी।
"तुम हमेशा से मेरी परछाई क्यों रही हो?" मैंने संकोच से पूछा, उसकी आँखों में झांकते हुए।
"क्योंकि तुम्हारे भीतर की सच्चाई को समझने के लिए तुम्हें खुद से मिलना था," उसने उत्तर दिया, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी शांति थी।
"तो अब क्या होगा?" मैंने धीरे से कहा, मेरे मन में अनगिनत सवाल उमड़ रहे थे।
मेरी परछाई धीरे-धीरे बदलने लगती है, और वह एक महिला की आकृति बन जाती है।
उसके चेहरे पर सिले हुए होंठ खुल जाते हैं, और वह मुझे देखती है।
स्ट्रीट लाइट टिमटिमाने लगती है, और उसके आसपास कई परछाइयाँ बन जाती हैं।
वह अपनी जेब में से एक खाली ग्लास वायल निकालती है और मेरी ओर बढ़ती है।
वायल के लेबल पर "जहर, 27 जून 2020" लिखा होता है, लेकिन यह अब धुंधला पड़ गया है।
बस नंबर
वह मेरे पास आती है और मेरे हाथ में वायल रखती है।
उसकी उंगलियाँ मेरे शरीर को छूती हैं, और मुझे ठंड लगने लगती है।
"पांच साल पहले, इस बस में, मैंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया था," वह धीरे से कहती है, उसकी आवाज़ कई दिशाओं से आती है।
वायल मेरे हाथ में बर्फ जैसी ठंडी हो जाती है, और उसके ऊपर जमने लगती है।
उसकी आकृति धीरे-धीरे धुंएली होने लगती है, जैसे कि वह धुएँ में घुल रही हो।
वायल भी धीरे-धीरे उसके साथ गायब होने लगती है, जैसे कि वह उसका एक हिस्सा हो।
उसके आसपास की परछाइयाँ एक-एक करके गायब होने लगती हैं, जैसे कि वे अंधेरे में समा रही हों।
मैं उसकी ओर बढ़ता हूँ, लेकिन मेरा हाथ खाली हवा में पड़ जाता है।
स्ट्रीट लाइट फिर से जलने लगती है, और सड़क पर अचानक से रोशनी फैल जाती है।
बस नंबर
दीवार पर चढ़ी मेरी परछाई अब नहीं दिख रही, और बस भी कहीं नहीं दिख रहा।
मैं इधर-उधर देखता हूँ, लेकिन बस, वायल, और वह सब कुछ गायब हो गया है।
मैं दीवार के पास जाता हूँ और जमीन पर देखता हूँ, तो वहाँ एक पुराना अखबार का टुकड़ा चिपका होता है।
उस अखबार के टुकड़े पर मेरी ही गुमशुदगी की खबर छपी होती है।
मैं अपने घर में घुसता हूँ, और मेरी पत्नी दौड़कर मेरे पास आती है और रोते हुए मुझे गले लगाती है।
"तुम कहाँ थे? तुम्हारे बारे में कोई खबर नहीं थी, हम तुम्हें ढूंढ रहे थे।"
वह रोते हुए कहती है, उसकी आवाज़ भारी हो रही है।
"मैं बस... बस यात्रा कर रहा था।"
मैं धीरे से कहता हूँ, मेरी आवाज़ भी कांप रही है।
उसके बाद, वह फोन पर अपने परिवार को बताती है कि मैं घर आ गया हूँ, और सब लोग राहत महसूस करते हैं।
मैं उसके पास जाता हूँ और उसे गले लगाता हूँ, लेकिन मेरा मन अभी भी उस बस और उस महिला को लेकर चिंतित है।
उस महिला ने जो कहा, वह मेरे दिमाग में घूम रहा था।
उसने कहा, "पांच साल पहले, इस बस में, मैंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया था।"
उसने कहा, "मैंने अपनी जिंदगी खत्म करने का फैसला किया था।"
बस नंबर
उसकी बातें मेरे दिमाग में घूम रही थीं, और मैं उस बस को याद करने की कोशिश कर रहा था।
लेकिन जब मैंने उस अखबार को देखा, तो मेरी आँखें फट गईं। अखबार का टुकड़ा पुराना था, और उस पर एक खबर छपी थी।
खबर पढ़कर, मेरा दिल धड़कने लगा।
"बस दुर्घटना: एक महिला ने आत्महत्या की।"
"मैंने अखबार के टुकड़े को कसकर पकड़ा और महसूस किया कि मेरी परछाई ने मुझे अतीत की एक अनसुलझी गुत्थी से जोड़ दिया था।"
बस नंबर
मैं अपने डेस्क पर बैठता हूँ और अखबार का टुकड़ा देखता हूँ, जिसमें एक महिला की आत्महत्या की खबर है।
मेरी पत्नी कमरे में सो रही है, लेकिन मेरे दिमाग में बस उस महिला की बातें घूम रही हैं।
मैं अपने कंप्यूटर को खोलता हूँ और उस बस के बारे में जानकारी ढूंढने लगता हूँ।
मेरे हाथ कांपते हैं, और मैं इंटरनेट पर कई वेबसाइट्स खोलता हूँ।
कुछ पुराने आर्टिकल्स में, मुझे उस बस के बारे में जानकारी मिलती है।
उस बस ने एक महिला को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए चुना था।
उस महिला ने अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए एक वायल लिया था, जिसमें जहर था।
उस वायल को उसने अपने शरीर में डाल दिया था, और उसकी जिंदगी खत्म हो गई थी।
उस बस ने उस महिला को अपनी जिंदगी खत्म करने के लिए चुना था, और वह बस अभी भी चल रही थी।
मैं उस बस के बारे में और जानकारी ढूंढने लगता हूँ, और मुझे पता चलता है कि वह बस अभी भी शहर में चलती है। वह बस रात को 11 बजकर 30 मिनट पर चलती है, और वह बस उस रास्ते से गुजरती है जहां वह महिला ने अपनी जिंदगी खत्म की थी।
बस नंबर
मैं उस बस को देखने के लिए तैयार होता हूँ, लेकिन मेरा दिमाग अभी भी उस महिला की बातों से भरा हुआ है।
"तुम्हें लगता है कि वह बस अब भी वहीं से गुजरती है?" मेरी पत्नी ने अचानक दरवाजे पर खड़े होकर पूछा।
"हाँ, और मुझे यकीन है कि कुछ छिपा हुआ है जो मुझे जानना चाहिए," मैंने जवाब दिया, उसकी आँखों में चिंता देखी।
"अगर तुम सच में जाना चाहते हो, तो मैं तुम्हारे साथ चलूँगी," उसने दृढ़ता से कहा।
मैं अपने कंप्यूटर पर बैठकर उस बस के बारे में और जानकारी ढूंढता हूँ, जब मेरी पत्नी मेरे कंधे पर हाथ रखती है और कहती है, "चलो चलें, बस को देखने के लिए।"
मैं उसके साथ गाड़ी में बैठकर बस स्टॉप तक जाता हूँ।
रात के 11 बजकर 25 मिनट पर, हम बस स्टॉप पर पहुँच जाते हैं।
बस स्टॉप पर एक बस खड़ी होती है, और उसका नंबर 203 होता है।
मैं उस बस को देखता हूँ, तो मुझे वह महिला दिखाई देती है जिसके होंठ सिले हुए थे।
वह बस में बैठकर अपनी आँखें बंद कर लेती है, और मैं उसके पास जाने की कोशिश करता हूँ।
लेकिन जब मैं उसके पास पहुँचता हूँ, तो वह बस अचानक से चलने लगती है।
मैं उसके पीछे-पीछे चलता हूँ, और वह बस रास्ते में चलती रहती है।
मैं उसके पीछे-पीछे चलता रहता हूँ, जब तक वह बस एक जगह रुक नहीं जाती।
जब वह बस रुकती है, तो मैं उसके अंदर जाने की कोशिश करता हूँ, लेकिन वह बस खाली नहीं थी।
बस नंबर
बस नंबर
उस बस में कई लोग बैठे थे, और उनमें से एक महिला भी थी।
उस महिला ने अपने चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट थी, और वह मुझसे कहती थी, "तुम्हारी यात्रा यहाँ खत्म हो गई।" "तुम्हारी यात्रा यहाँ खत्म हो गई।"
उस महिला ने कहा, और वह बस अचानक से चलने लगी।